प्रसन्नचित्त रहने से मन, मस्तिष्क तथा शरीर के अंग-प्रत्यंग अपना काम बखूबी करते हैं। खुलके हंसने से ल्यूब्रीकेटर की पूर्ति होती रहती है तथा उसमें जंग नहीं लगती है तथा शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों से उबरना में मदद मिलती है…
प्रसन्नचित्त रहने से मन, मस्तिष्क तथा शरीर के अंग-प्रत्यंग अपना काम बखूबी करते हैं। खुलके हंसने से ल्यूब्रीकेटर की पूर्ति होती रहती है तथा उसमें जंग नहीं लगती है तथा शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों से उबरना में मदद मिलती है…