खाली पेट गर्म पानी, शहद के साथ नींबू खाने एवं नींबू पानी पीने के फायदे

नींबू (Lemon) के गुण, धर्म व परिचय

नींबू (Lemon) का प्रयोग प्रत्येक मौसम में किया जा सकता है। यह बदलते मौसम के अनुरूप ही अपने गुणों को समायोजित कर मौसमी दोषों से बचाता है। नींबू का मुख्य काम शरीर के विषों को नष्ट करके उन्हें बाहर निकालना है। विभिन्न रोगों से बचने, स्वास्थ्य एवं शक्ति प्राप्त करने के लिये नींबू का रस विटामिन ‘सी’ का भण्डार है।

विटामिन ‘सी’ (C) शरीर में घट जाने से स्कर्वी, हड्डी के जोड़ों की पीड़ा, रक्तस्राव, एनीमिया, दाँत दर्द का का उपचार, पायोरिया, दमा, खाँसी आदि रोग हो जाते हैं। नींबू के प्रयोग से इनमें लाभ होता है तथा सल्फा ड्रग्ज़ के प्रयोग से उत्पन्न दोष भी दूर हो जाते |

विभिन्न भाषाओं में नींबू (Lemon) के नाम –

हिन्दी- नींबू,

उर्दू – कागजी नींबू,

संस्कृत-निंबू, निंबकू, निम्पाक,

बंगाली – कागजी लेम्बु,

गुजराती-लीम्बु,

मराठी-कागदी लिम्बु,

अरबी-लिमुने हाजिम,

फारसी-लिमुने तुर्श,

अंग्रेजी-लेमन (Lemon)

लेटिन- साइट्रस एसीडा या लेमोनम एसिडम (Lemonum Acidum)

निम्बू(Lemon) के फायदे

बैड टी की आदत छुड़ाना –

यदि आप सुबह उठते ही बिस्तर चाय लेने की बजाए सुबह-सुबह कुल्ला करने से पहले गर्म पानी में नींबू (Lemon) शहद मिलाकर लें तो रोज बेड टी लेने की आदत छूट जाती है |

मोटापा से मुक्ति –

नींबू का रस उचित मात्रा में लेकर एक गिलास पानी घोलकर प्रतिदिन प्रातः पाखाना जाने से पूर्व पीने से मोटापा धीरे-धीरे कम होने लगता है तथा पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं। इसे पूरे ग्रीष्मकाल प्रयोग करना चाहिये। यह मनुष्य को पतला तो कर ही देगा, परन्तु कमज़ोरी नहीं आने देगा।

दूध न पचना –

अनेक लोगों को दूध नहीं पचता है। दूध पीने के साथ ही पेट में गुड़गुड़ होने लगती है। उस स्थिति में लोग प्रायः दूध पीना छोड़ देता हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। उन्हें चाहिये कि वे दूध पीने के 10-15 मिनट बाद आधा नींबू का रस प्रयोग करें। इस प्रयोग से दूध पचना प्रारम्भ हो जाता है।

सूखी खाँसी –

हल्के गर्म पानी में नींबू (Lemon) का रस, ग्लीसरीन व शहद मिलाकर गरारे करने से सूखी खाँसी में लाभ होता है।

शारीरिक जलन व गर्मी-

शरीर में जलन और गर्मी होने पर नींबू (Lemon) के रस को चीनी के शर्बत में डालकर पीने से लाभ होता है |

हर प्रकार की दर्दे-बिजौरा नींबू के एक ग्राम रस के साथ या साइट्रिक एसिड 2 मि.ग्रा. शहद खाने के फायदे में मिलाकर तथा उसमें यथा आवश्यक मात्रा में पानी मिलाकर पीने से हृदय, पसली, मूत्राशय एवं वृक्कशूल ठीक हो जाती है।

आयु बढ़ना –

प्रो० स्कमोल के अनुसार यदि आधा नींबू (Lemon) प्रतिदिन प्रयोग किया जाये तो आयु बढ़ जाती है।

सिरदर्द –

सिरदर्द होने पर नींबू चाय में निचोड़कर पीने से लाभ होता है। नींबू के पत्तों को कूटकर रस निकालकर इस रस को सूँघने से जो सिरदर्द हमेशा रहता है, वह ठीक हो जाता है। नींबू के पत्तों को सुखाकर प्रतिदिन प्रातः सूँघने तथा चाय पीने से चमत्कारिक फल मिलता है।

उपदंश (Syphlis) की पहचान –

स्त्री या पुरुष को उपदंश है या नहीं। यह जानने के लिये उसके शरीर के किसी भाग पर नींबू का रस लगायें। यदि यह असह्य प्रतीत हो तो समझ लें कि उसे उपदंश है।

सरल प्रसव –

यदि चौथे मास से प्रसवकाल तक गर्भिणी नींबू की शिकंजी (पानी में शक्कर तथा नींबू निचोड़ कर) प्रतिदिन पिया करे तो प्रसव सरलता से बिना कष्ट हो जाता है।

हैज़ा –

गर्म पानी में नमक एवं नींबू का रस मिलाकर रोगी को पिलायें। उल्टी हो जाने पर पुनः पिलायें। जब तक उल्टी होती रहे, पिलाते रहें। इससे पेट की सफाई हो जायेगी तथा रोगी ठीक हो जायेगा हैज़ा के दिनों में नींब के अचार से हैजा तथा रोग संक्रमण घट जाता है | प्रतिदिन प्रयोग करने से हैजे से बचाव होता है |

मुँह के छाले (Mouth Ulcer) –

इसका मुख्य कारण 80% पेट की खराबी होती है। उचित चिकित्सा यह है कि प्रतिदिन प्रातः सायं भोजन से पूर्व या पश्चात् जब पेट खाली हो तो नींबू का रस 20 मि. लि. थोड़ा नमक या मिश्री मिलाकर पी लिया जाये। पेट का विष निकलकर मुँह के छाले ठीक हो जायेंगे। किसी इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती है।

जुकाम –

दो नींबुओं के रस को खौलते हुये पानी 400 मि.लि. में डालें। जब पानी गुनगुना हो जाये तो उसे छानकर उसमें इच्छानुसार शहद मिलाकर रात को सोते समय पी लें। इससे जुकाम ठीक हो जाता है।

यकृत (जिगर) की सुस्ती –

आधे गिलास पानी में आधा नींबू (Lemon) का रस निचोड़कर नाश्ते से पहले लेने से तो बहुत सुस्त यकृत भी सही काम करने लगता है।

धतूरे का विष –

धतूरा अतिभादक है। इसका प्रयोग किसी औषधि में सिद्ध करने पर ही लाभ दे सकता है। इसका गहरा नशा विष बनकर लगता है। धतूरा खा लेने वाले को शक्कर की शिंकज बनाकर पिलाते रहिये । विष स्वयंमेव शांत हो जायेगा और इसका दुष्प्रभाव दूर हो जायेगा जानिए – सिरोसिस का इलाज

भाँग का नशा –

भाँग खुश्की पैदा करती है। नींबू (Lemon) का पत्ते नींब का पुराना अचार चूसने से नशा उतर जाता है। यदि जामन के 1-2 पत्ते नींबू के रस में पीसकर पिलायें तो नशा शीघ्र उतर जाता है |

बिच्छू का विष (Scorpion bite) –

बिच्छू के डंक मारने के स्थान पर नींबू का रस व नमक लगाना हितकर है। नींबू के बीज, सेंधा नमक दोनों को पीसकर पिलाने से बिच्छू का विष समाप्त हो जाता है | नौशादर और नींबू का रस डंक स्थान पर लगा देने से बिच्छू का विष तुरन्त दूर होकर पीड़ा समाप्त हो जाती है। यही प्रयोग ततैया आदि के डंक में भी लाभप्रद है।

पीला ज्वर (Yellow Fever) –

एक फ्रेंच डॉक्टर के अनुसार नींबू को सादे पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से पीला ज्वर शीघ्र ठीक हो जाता है। इसमें मीठा न मिलायें।

प्लीहा (तिल्ली) बढ़ना –

तिल्ली बढ़ जाने की अवस्था में नींबू का प्रयोग अति लाभप्रद है। दो नींबुओं के 4 आधे टुकड़े कर लें। उन पर नमक छिड़ककर थोड़ा-सा गर्म कर लिया जाये और कई दिन तक बराबर इसी संख्या में रोगी चूसता रहे। कुछ ही दिन में प्लीहा (तिल्ली) अपनी वास्तविक अवस्था आ जायेगी।

बवासीर (Piles) –

काग़ज़ी नींब काटकर दोनों टुकड़ों पर पिसा हुआ कत्था डालकर जितना अधिक नींबू में शोषित हो जाये, शोषित कर लें। फिर दोनों टुकड़ों को तश्तरी में रखकर बाहर ओस में रख दें। सबह दोनों टुकड़े चूस लें। पहली मात्रा से ही रक्त बन्द हो जाता तथा भूख भी खूब लगती है

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