कान का बहना, कान में भारीपन और कान में दर्द का घरेलू इलाज

कान में भारीपन और दर्द

शरीर के अन्य अंगों की भांति कान में भी अनेक रोग पैदा होते हैं। जन्म के कुछ समय पश्चात् ही बच्चे कान के रोगों से पीड़ित हो जाते हैं।

प्राय: इसका कारण बच्चों के कान में दर्द होना अथवा कान का बहना होता है, जो माता के ग़लत ढंग से कराये गये स्तनपान का नतीजा होता है।

जब माता बच्चे को गोद में लेकर अथवा बिस्तर में उसके साथ लेटकर उसे दूध पिलाती है, तो लापरवाही के कारण दूध की कुछ बूंदें बच्चे के कान में पहुंच जाती हैं।

फिर बच्चे के कान में बाहर की धूल-मिट्टी चिपकने लगती है और रोगाणु एकत्र होने लगते हैं। बच्चे के कान में सूजन हो जाती है या उससे लाव होने लगता है।

सर्दी लगने से भी कान में दर्द हो जाता है। कान में शोथ हो जाने के कारण बच्चे बहुत परेशान हो जाते हैं; क्योंकि आरम्भ में इसका पता नहीं चलता।

बच्चों की चेष्टाओं को देखकर अथवा उनके कान पर हाथ रखकर ही आप यह पता लगा सकते हैं कि उनके कान में दर्द है।

इसके पश्चात् चिकित्सक को दिखाकर यह पता लगाना चाहिए कि बच्चे के कान के भीतर कोई फुंसी आदि तो नहीं है।

आरम्भ में चिकित्सा कराने से फुंसी फटकर फूट सकती है, लेकिन कानों की नियमित सफ़ाई नहीं होने अथवा स्तनपान के समय कान में दूध पहुंचते रहने से फुंसी बार-बार पकती-फूटती रहती है और बच्चे का कान बहने लगता है।

पढ़िए – पिस्ता खाने के फायदे

कान बहने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे बचपन में खांसी या ज़ुक़ाम आदि से पीड़ित रहना।

सर्दी, खांसी, जुक़ाम या गले की ख़राश के कारण कान के आसपास की ग्रन्थियां सूज जाती हैं और कान में दर्द होने लगता है और उसके बाद कान से सफ़ेद या पीला पूय निकलने लगता है।

कान में कोई आघात लगने, खुजाये जाने अथवा चोट लगने से भी रक्तमिश्रित पूय निकलने लगता है। इसलिए इसकी चिकित्सा तुरन्त की जानी चाहिए विलम्ब करने से सुनने की शक्ति कम हो सकती है, बहरापन हो सकता है या कान में सूजन होने से भांति-भांति की कान में दर्द होने अथवा कान से पूय का स्राव आने के कारण बड़े व्यक्ति भी पीड़ित हो सकते हैं।

अत: रोग की उत्पत्ति का कारण जानने के बाद तुरन्त चिकित्सा आराम कर देनी चाहिए | आरम्भ कर देनी चाहिए।

अनेक बार कान का दर्द दांतों तक फैल जाता है अथवा कान की फुंसी के कारण सिर में भी दर्द हो जाता है। अधिक समय तक कान से पूय का स्राव होने पर कान का परदा गलने लगता है और व्यक्ति बहरा भी हो जाता है।

टायफाइड रोग के लम्बे समय तक चलते रहने पर भी शारीरिक क्षीणता के कारण कान में बहरापन होने लगता है। कान को खुजलाने से भी कान में सूजन आ जाती है और एग्ज़ीमा की छोटी-छोटी फुंसियों से पूय निकलने लगता है।

अत: कान की सफ़ाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए और स्नान करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पानी कान में न चला जाये। इसके लिए नहाने से पहले रुई को ग्लिसरीन में भिगोकर कान में भर लेना चाहिए। इस प्रकार नहाते समय पानी कान के भीतर नहीं जायेगा। यदि कान में मैल एकत्र हो गया हो, तो डॉक्टर को दिखाकर तुरन्त इलाज करायें अथवा निम्नलिखित उपाय काम में लायें।

कान में दर्द (ear pain) एवं कान का बहना का घरेलू इलाज

1. जैतून के रस की कुछ बूंदें कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

2. तुलसी के पत्तों का रस के फायदे  निकालकर हलका-सा गरम कर लें और दो- चार बूंदें कान में डाल दें। दर्द तुरन्त दूर हो जायेगा।

3. बबूल के फूलों को तिल के तेल में डालकर खूब पका लें और तेल को छानकर रख लें। प्रयोग करते समय हलका-सा गरम करने के बाद कान में डालें। इससे कान का दर्द शीघ्र समाप्त हो जाता है।

4. नीम के तेल को हलका-सा गरम करके दो-दो बूंदें कान में डालने से शीघ्र आराम होता है। यह तेल एण्टीसेप्टिक होता है। अत: इससे कान की फुंसियां या कान में पैदा हो गये जीवाणु भी नष्ट होते हैं।

5. लहसुन की दो कलियां लेकर अच्छी प्रकार छीलकर काट लें। इन्हें दो-तीन चम्मच सरसों के तेल में डालकर आंच पर पकायें और जब लहसुन तो बरतन को आग से उतारकर व तेल को छानकर रख लें। इस तेल को गुनगुना करके रुई के साथ दो-दो बुँदे कान में डालने से कान का दर्द फ़ौरन ग़ायब हो जाता है।

6. यदि कान बहता हो, तो सरसों के तेल में लहसुन के साथ नीम की पांच-सात पत्तियां भी उबाल लें। रात को सोने से पहले कुछ दिन तक इस तेल के प्रयोग से कान के घाव और कान का बहना ठीक हो जाता है और यदि कान में कोई कीड़ा चला गया हो, तो वह भी मरकर अपने आप बाहर निकल आता है।

7. प्याज़ को कूटकर और कपड़े से निचोड़कर उसका थोड़ा-सा रस निकाल हो जायेगा।

प्याज़ का रस कान के बहने पर भी लाभदायक सिद्ध होता है और इससे कान में पैदा हो गये जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं। कान बहने पर सबसे पहले कान की सफ़ाई करना आवश्यक है; क्योंकि सफ़ाई न होने से स्राव भीतर की ओर बहने के कारण रोग और बढ़ सकता है। सफ़ाई के बिना ओषधि का प्रयोग करने पर लाभ प्राप्त नहीं हो सकता।

admin

Back to top
प्याज खाने के फायदे (Benefits of eating onion in Hindi) तिल के तेल के फायदे इन हिंदी (Sesame Oil Benefits) तुलसी खाने के फायदे (Tulsi Eating Benefits in Hindi) शहतूत फल खाने के फायदे नींबू पानी पीने के फायदे हिंदी में