यकृत का सुत्रारोग(Liver Cirrhosis):-
यकृत का सुत्रारोग या सिरोसिस ऑफ़ द लिवर(Liver Cirrhosis) में यकृत कठोर तथा आकार में छोटा हो जाता है| ज्वर-कामला, यकृत प्रदेश पर दर्द, अन्न से अरुचि के लक्षण यकृत के कार्यो के मंद हो जाने के कारण होते है| रोगी दुर्बल, पीला, नीली नसें, उभरा चेहरा होता है| आँतो में से प्रोटीन भोजन से उत्तपन्न विषों के रक्त में चले जाने से उनके दुष्प्रभाव से मृत्यु हो जाती है |
यकृत के रोगी को फलों का रस, सलाद, हरी सब्जियों का रस, मौसमी, नारंगी, मीठे पदार्थ – अरबी, आलू, गाजर, चुकन्दर, खजूर, अंजीर, किशमिश, आम, पपीता, शहद आदि लाभदायक हैं| तले हुए पदार्थ चाय, कॉफ़ी, तेज मसाले, तम्बाकू का सेवन बंद करना चाहिए| शराब तो यकृत रोगी के लिए ज़हर के सामान है, बिलकुल बंद कर देनी चाहिए|
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यकृत के रोगी को घी और चीनी बुहत कम खानी चाहिए| ‘अपच’ में बताई गई चीजों का सेवन भी लाभदायक है | ‘पीलिया’ में वर्णित पीपल का सेवन भी लाभदायक है | लीची, चुकन्दर, लौकी, बथुआ, छाछ का सेवन यकृत रोगों में लाभदायक है, ये यकृत को शक्ति देते है|
लिवर सिरोसिस का घरेलु उपचार (In Hindi):-
नीबू – नीबू के चार भाग करें पर टुकड़े अलग ना हों| एक में नमक, एक में काली मिर्च, एक में सौंठ, चौथे में मिश्री या शक्कर लगा दें| रात को प्लेट में रखकर ढक दें | सुबह तवे पर गर्म कर चूसने से यकृत (लिवर) सही होगा, भूख बढ़ेगी | ऐसे मरीज के लिए इससे बढ़कर कोई औषद्यि नहीं है |
धनिया – धनिया, सौंठ, काला नमक का चूर्ण बनाकर रखिए और दिन में तीन बार सेवन कीजिए | इससे यकृत को शक्ति, स्फूर्ति मिलती है | भूख लगती है |
सेब – सेब यकृत में लाभदायक है | इससे यकृत को शक्ति मिलती है | छाछ. बथुआ, लीची, अनार, जामुन, चकुंदर, आलूबुखारा, यकृत को शक्ति देता है, गैस और कब्ज मिटाने के सरल उपचार | ये नित्ये खायें|
लौकी – लौकी को आँच में सेक कर भुर्ता-सा बना लें, फिर इसका रस निकाल लें और रस में मिश्री मिला कर पियें | ये यकृत की बीमारी में लाभदायक है |
चावल – सूर्योदय से पहले उठकर मुँह साफ़ करके एक चुटकी कच्चे चावल की फँकी लें | यह प्रयोग यकृत को मजबूत करने के लिए बड़ा अच्छा है | जिन लोगों ने इस प्रकार चावल लिए है, उन्हें लाभ हुआ है|
नमक – आधा चम्मच सेंधा नमक, चार चम्मच राई पानी डालकर पीसकर यकृत-स्थान पर पांच मिनट लेप करें और फिर धोकर घी लगा दें| इससे यकृत में हो रहे दर्द में लाभ होता है |
पान – खाने के पान के चिकनी और तेल लगाकर गर्म करके यकृत स्थान पर बाँधने से यकृत के दर्द में लाभ होता है|
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पीपल – चार पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद में मिलकर चांटे | बढ़े हुए यकृत में लाभ होता है |
पपीता – पपीता पेट साफ करता है | यकृत को ताकत देने वाला है | छोटे बच्चे जिनका यकृत ख़राब रहता हैं, उन्हें पपीता खिलाना चाहिए|
गाजर – यकृत रोग ग्रस्त को बार – बार गाजर खानी चाहिए | फ्रांस में इन रोगों के लिए गाजर उपयोगी समझते हैं |
खरबूजा – ये यकृत की सूजन मिटाता हैं | नित्ये दो बार खायें |
करेला – 3 से 8 वर्ष तक के बच्चे को आधा चम्मच करेले का रस नित्ये देने से यकृत ठीक रहता है | यह पेट साफ रखता है | यकृत बढ़ने पर ग्राम करेले का रस पानी में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है|
अजवाइन – 15 ग्राम अजवाइन प्रातः मिट्टी के बर्तन जैसे सिकोरे में पानी डाल कर भिगो दें | दिन में मकान में, रात को खुले में, ओस में रखें | दूसरे दिन प्रातः छानकर पानी पियें | यह लगातार 15 दिन पियें | इससे बढ़ा हुआ यकृत ठीक हो जाता है | भूख लगती है |
तुलसी – एक गिलास पानी में 12 ग्राम तुलसी के पत्ते उबाल कर चौथाई रहने पर छानकर पीने से यकृत का बढ़ना एवं यकृत के अन्य रोग ठीक हो जाते है|